फिल्म: कन्नप्पा
कलाकार: विष्णु मांचू, प्रभास, अक्षय कुमार, मोहनलाल, मोहन बाबू, काजल अग्रवाल, प्रीति मुकुंदन, आर. सरथकुमार
निर्देशक: मुकेश कुमार सिंह
निर्माता: मोहन बाबू
रेटिंग: ⭐️⭐️⭐️ (3/5)
आज सिनेमाघरों में रिलीज हुई विष्णु मांचू की ‘कन्नप्पा’ एक पौराणिक-भक्तिमय फिल्म है, जो भगवान शिव के परम भक्त, कन्नप्पा की प्रसिद्ध कथा पर आधारित है। फिल्म में एक विशाल स्टारकास्ट है, जिसमें प्रभास, अक्षय कुमार, मोहनलाल जैसे बड़े सितारे कैमियो रोल में हैं, जिसने रिलीज से पहले ही काफी चर्चा बटोरी थी। हालांकि, यह फिल्म अपनी भव्यता और भावनात्मक क्लाइमेक्स के बावजूद, एक धीमी और असंतुलित शुरुआत से जूझती है।
कहानी:
फिल्म की कहानी एक नास्तिक शिकारी तिन्नाडू (विष्णु मांचू) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो शुरू में भगवान और मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता। वह अपनी आदिवासी जीवनशैली में मस्त रहता है और परंपराओं का विरोध करता है। लेकिन परिस्थितियाँ उसे भगवान शिव के प्रति एक गहरा और अटूट विश्वास जगाने पर मजबूर कर देती हैं। फिल्म दिखाती है कि कैसे तिन्नाडू, जो एक नास्तिक था, भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त बन जाता है और अपनी भक्ति के चरम पर एक अविश्वसनीय बलिदान देने के लिए तैयार हो जाता है। यही उसका कन्नप्पा बनने का सफर है।
अभिनय:
विष्णु मांचू ने कन्नप्पा के किरदार को पूरी ईमानदारी से निभाया है। उनका समर्पण फिल्म में साफ दिखता है। खासकर क्लाइमेक्स में, जहां उनका भावनात्मक प्रदर्शन दिल को छू जाता है। उनका यह रोल उनके करियर के बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक माना जा सकता है।
कैमियो रोल में बड़े सितारों की मौजूदगी फिल्म का एक बड़ा आकर्षण है। प्रभास रुद्र के रूप में शानदार दिखते हैं और उनकी एंट्री के साथ ही फिल्म में एक नई ऊर्जा आ जाती है। उनके डायलॉग्स और स्क्रीन प्रेजेंस दमदार हैं। अक्षय कुमार भगवान शिव के रूप में एक छोटा लेकिन प्रभावशाली रोल निभाते हैं। मोहनलाल का किरदार भी बहुत ही शांत और शक्तिशाली है।

तकनीकी पहलू:
फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष इसका क्लाइमेक्स है। अंतिम 30 मिनट में फिल्म एक अलग ही स्तर पर पहुंच जाती है। भक्ति और भावना का यह मिश्रण दर्शकों को भावुक कर देता है। हालाँकि, फिल्म की शुरुआत धीमी है और पहला हाफ काफी खींचा हुआ लगता है। ऐसा लगता है कि कहानी को जबरदस्ती लंबा किया गया है। विजुअल इफेक्ट्स (VFX) कुछ दृश्यों में प्रभावशाली हैं, लेकिन कुछ जगहों पर यह कमजोर भी लगते हैं। सिनेमेटोग्राफी अच्छी है, जो जंगलों और पौराणिक दुनिया का भव्य चित्रण करती है। संगीत भी कई दृश्यों को ऊपर उठाता है, लेकिन कुछ रोमांटिक गाने कहानी के प्रवाह को बाधित करते हैं।
हमारा फैसला:
अगर आप एक शिव भक्त हैं या पौराणिक कहानियों को पसंद करते हैं, तो ‘कन्नप्पा’ आपके लिए एक अच्छा अनुभव हो सकती है। फिल्म का भावनात्मक क्लाइमेक्स और विष्णु मांचू का शानदार अभिनय देखने लायक है। हालांकि, फिल्म की धीमी शुरुआत और कुछ कमजोर तकनीकी पहलुओं को नजरअंदाज करना पड़ सकता है। यह एक ऐसी फिल्म है जिसे परिवार के साथ देखा जा सकता है, खासकर इसके दूसरे भाग और क्लाइमेक्स के लिए। बड़े सितारों के कैमियो भी फिल्म को देखने लायक बनाते हैं।