Rabies
Rabies
  • Rabies, एक ऐसी बीमारी जिसका नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह एक जानलेवा वायरल संक्रमण है, जो संक्रमित जानवर के काटने या खरोंचने से इंसानों में फैलता है। दुनिया भर में हर साल रेबीज से होने वाली मौतों में से एक बड़ा हिस्सा भारत में होता है। यह एक ऐसी चुनौती है, जिसके लिए समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करने की जरूरत है।

रेबीज का बढ़ता खतरा

भारत में Rabies का मुख्य कारण आवारा कुत्ते हैं। तेजी से बढ़ती शहरीकरण और जनसंख्या के कारण आवारा कुत्तों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ये कुत्ते न केवल काटने की घटनाओं को बढ़ाते हैं, बल्कि Rabies के प्रसार का भी एक प्रमुख स्रोत बन जाते हैं। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भी हर साल लाखों लोग जानवरों के काटने का शिकार होते हैं, और रेबीज के मामलों की संख्या भी चिंताजनक रूप से बढ़ रही है।

लक्षण और गंभीरता

Rabies के लक्षण तब तक सामने नहीं आते, जब तक कि वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक नहीं पहुंच जाता। इसके शुरुआती लक्षणों में काटने वाली जगह पर दर्द या झुनझुनी, बुखार, सिरदर्द और थकान शामिल हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, इसके लक्षण और भी गंभीर हो जाते हैं, जैसे कि पानी से डर (हाइड्रोफोबिया), अत्यधिक लार का आना और मांसपेशियों में ऐंठन। एक बार जब लक्षण दिखाई देने लगते हैं, तो मरीज को बचाना लगभग असंभव हो जाता है।

रोकथाम और उपचार: एक समयबद्ध दृष्टिकोण

रेबीज को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप है।

* तत्काल चिकित्सा सहायता: किसी भी जानवर के काटने पर, घाव को तुरंत साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके बाद, बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी है।

* टीकाकरण: रेबीज की रोकथाम के लिए टीकाकरण ही एकमात्र प्रभावी तरीका है। इसे दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

* प्री-एक्सपोज़र वैक्सीन: यह उन लोगों के लिए है, जिन्हें रेबीज का खतरा अधिक है, जैसे कि पशु चिकित्सक या पशु कल्याण कार्यकर्ता।

* पोस्ट-एक्सपोज़र वैक्सीन: यह किसी जानवर के काटने के बाद लगाया जाता है। इसमें कई इंजेक्शन शामिल होते हैं, और डॉक्टर के बताए गए शेड्यूल का पालन करना अनिवार्य है।

* आवारा कुत्तों का प्रबंधन: सरकार द्वारा आवारा कुत्तों की नसबंदी (Animal Birth Control) और टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जो रेबीज के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण हैं। इन कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है।

जन जागरूकता अभियान

भारत सरकार ने 2030 तक ‘रेबीज मुक्त भारत’ का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, जन जागरूकता अभियान चलाना बहुत महत्वपूर्ण है। विश्व रेबीज दिवस (28 सितंबर) जैसे अवसरों पर लोगों को रेबीज के खतरे और बचाव के तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाता है। इन अभियानों में पालतू जानवरों के मालिकों को अपने कुत्तों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करना और लोगों को आवारा जानवरों के साथ सावधानी बरतने की सलाह देना शामिल है।

समाधान की ओर बढ़ते कदम

Rabies से लड़ना केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें पशुपालन विभाग, नगर निगम और आम जनता की भी भागीदारी आवश्यक है। रेबीज को हराने के लिए हमें एक एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा। पालतू जानवरों के टीकाकरण को अनिवार्य बनाना, आवारा जानवरों के लिए प्रभावी नियंत्रण कार्यक्रम चलाना, और लोगों में जागरूकता बढ़ाना, ये सभी कदम मिलकर भारत को रेबीज मुक्त बनाने में मदद कर सकते हैं। रेबीज के खिलाफ लड़ाई में हर एक व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है।