viswanathan anand
viswanathan anand chess

जब भी शतरंज के महानतम खिलाड़ियों की बात होती है, विश्वनाथन आनंद का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व पटल पर उन्होंने शतरंज को एक नई पहचान दी। लेकिन आनंद सिर्फ एक चैंपियन नहीं हैं; वह एक ऐसे प्रतीक हैं जिन्होंने अपनी विनम्रता, खेल भावना और अद्वितीय प्रतिभा से लाखों लोगों को प्रेरित किया है।

आम तौर पर जब हम आनंद के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में उनके विश्व चैंपियनशिप खिताब, उनकी तेज चालें और उनकी सटीकता आती है। उन्हें अक्सर ‘लाइटनिंग किड’ या ‘बिजली का लड़का’ कहा जाता था, उनकी अविश्वसनीय गति के कारण जो उन्होंने अपने शुरुआती करियर में दिखाई थी। लेकिन आज, वह सिर्फ ‘बिजली के लड़के’ नहीं हैं, बल्कि शतरंज के एक शांत सम्राट हैं, जिनकी उपस्थिति मात्र ही सम्मान का विषय है।

शांति और विनम्रता का प्रतीक:

आनंद की सबसे खास बात उनका शांत स्वभाव है। तनावपूर्ण विश्व चैंपियनशिप मैचों के दौरान भी, उनके चेहरे पर हमेशा एक सहज मुस्कान और शांति बनी रहती थी। उन्होंने कभी अपने विरोधियों को व्यक्तिगत रूप से नीचा नहीं दिखाया और हमेशा खेल भावना का सम्मान किया। उनकी यह विनम्रता ही उन्हें भीड़ से अलग करती है। जहां कई खिलाड़ी अपने अहंकार और आक्रामकता के लिए जाने जाते हैं, आनंद ने हमेशा संयम और सम्मान का रास्ता चुना। यह सिर्फ उनके खेल में ही नहीं, बल्कि उनके पूरे व्यक्तित्व में भी झलकता है।

भारतीय शतरंज का चेहरा और प्रेरणा स्रोत:

आनंद ने भारत में शतरंज को एक शौकिया खेल से एक गंभीर करियर विकल्प में बदल दिया। उनके उदय से पहले, शतरंज को अक्सर अकादमिक दायरे में देखा जाता था। लेकिन उन्होंने इसे एक पेशेवर खेल के रूप में स्थापित किया। आज भारत में जितने भी युवा शतरंज खिलाड़ी हैं, उनमें से अधिकांश आनंद को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने दिखाया कि भारतीय भी विश्व मंच पर शीर्ष पर पहुंच सकते हैं, और यह प्रेरणा अमूल्य है। उनकी सफलता ने भारत में शतरंज अकादमियों की संख्या में वृद्धि की और लाखों बच्चों को इस खेल को गंभीरता से लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

शतरंज का विकास और आनंद का योगदान:

आनंद सिर्फ खेलने और जीतने तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने शतरंज के विकास में भी सक्रिय भूमिका निभाई। वह अक्सर युवा खिलाड़ियों को सलाह देते हैं, टूर्नामेंटों में भाग लेते हैं जो नए प्रतिभाओं को उभारते हैं, और शतरंज के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद करते हैं। वह एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने कंप्यूटर एरा में भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी। जब डीप ब्लू ने गैरी कास्पारोव को हराया था, तब कई लोगों को लगा था कि शतरंज में इंसानी श्रेष्ठता खत्म हो जाएगी। लेकिन आनंद ने दिखाया कि मानवीय अंतर्ज्ञान और रचनात्मकता अभी भी इस खेल में महत्वपूर्ण हैं।

‘विशी’ – एक घरेलू नाम:

शतरंज प्रेमियों के बीच आनंद को अक्सर प्यार से ‘विशी’ कहा जाता है। यह नाम उनकी लोकप्रियता और लोगों के दिलों में उनके विशेष स्थान को दर्शाता है। वह सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक दोस्त, एक मार्गदर्शक और एक प्रेरणा हैं।

अंत में, विश्वनाथन आनंद एक ऐसे शतरंज खिलाड़ी हैं जिन्होंने न केवल अनगिनत खिताब जीते हैं, बल्कि एक विरासत भी छोड़ी है। उनकी विनम्रता, उनका धैर्य, उनकी खेल भावना और भारतीय शतरंज के प्रति उनका समर्पण उन्हें सिर्फ एक महान खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक महान इंसान बनाता है। वह ‘बिजली के लड़के’ से एक शांत, लेकिन शक्तिशाली सम्राट तक का सफर तय कर चुके हैं, और उनकी यात्रा आज भी कई लोगों को प्रेरित कर रही है।