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बेशक, यहाँ पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के हालिया बयानों पर एक विश्लेषणात्मक और अद्वितीय लेख है, जो उनके बयान के पीछे के इरादों और भारत पर इसके संभावित प्रभावों को उजागर करता है।

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कश्मीर में आतंकवाद को ‘वैध संघर्ष’ करार दिया है, एक बार फिर पाकिस्तान की दोहरी नीति और उसकी मानसिकता को उजागर करता है। यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत पाकिस्तान एक तरफ खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताता है, तो दूसरी तरफ सीमा पार आतंकवाद को खुला समर्थन देता है। इस लेख में हम इस बयान के गहरे अर्थों, इसके निहितार्थ और भारत पर इसके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।

आतंकवाद को ‘संघर्ष’ का नाम: एक खतरनाक खेल

जनरल मुनीर का ‘वैध संघर्ष’ का बयान एक खतरनाक प्रवृत्ति को दर्शाता है। वे कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की हिंसा को एक राजनीतिक संघर्ष का जामा पहनाना चाहते हैं। यह वही पुरानी चाल है, जिसके तहत पाकिस्तान ने दशकों से सीमा पार से होने वाली घुसपैठ और हमलों को ‘आजादी की लड़ाई’ का नाम दिया है।

* दोहरे मापदंड: एक तरफ, पाकिस्तान अपने देश के अंदरूनी हिस्सों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे समूहों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाता है और उन्हें आतंकवादी कहता है। दूसरी तरफ, कश्मीर में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूहों को ‘मुजाहिदीन’ या ‘फ्रीडम फाइटर’ का दर्जा देता है। यह दोहरे मापदंड पाकिस्तान के असली इरादों को उजागर करते हैं।

* अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन: संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा है। किसी भी देश के खिलाफ हिंसा, हत्या और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना आतंकवाद की श्रेणी में आता है। ऐसे में, जनरल मुनीर का बयान सीधे-सीधे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। यह पाकिस्तान को एक ऐसे देश के रूप में पेश करता है जो आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसे वैधता देने में विश्वास रखता है।

* युवाओं को भटकाने की कोशिश: ‘वैध संघर्ष’ का शब्द युवाओं को बहकाने और उन्हें आतंकवाद की तरफ धकेलने के लिए एक खतरनाक उपकरण है। यह उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि वे एक नेक मकसद के लिए लड़ रहे हैं, जबकि वास्तव में वे पाकिस्तान की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक मोहरा बन रहे हैं।

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कश्मीर को फिर से हवा देना: मुनीर की रणनीति

जनरल मुनीर ने अपने बयान में कश्मीर का राग फिर से अलापा है। उन्होंने इसे पाकिस्तान की ‘शह-रग’ (जुगुलर वेन) बताया और कहा कि पाकिस्तान कश्मीर को कभी नहीं भूलेगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास की एक नई लहर चल रही है।

* शांति प्रक्रिया को बाधित करना: यह बयान कश्मीर में शांति प्रक्रिया को बाधित करने की एक स्पष्ट कोशिश है। जब भी कश्मीर में हालात सुधरने लगते हैं, पाकिस्तान का सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व इस तरह के भड़काऊ बयान देता है, ताकि घाटी में अशांति फैल सके।

* भारत पर दबाव बनाने की कोशिश: यह बयान भारत पर राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए भी है। पाकिस्तान चाहता है कि भारत कश्मीर के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने झुके।

* आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाना: पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और अंदरूनी आतंकवाद से जूझ रहा है। ऐसे में, कश्मीर का मुद्दा उठाकर जनरल मुनीर अपनी जनता का ध्यान इन समस्याओं से भटकाना चाहते हैं। वे जनता को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि उनकी असली लड़ाई कश्मीर है, न कि उनके देश की बदहाल अर्थव्यवस्था और आंतरिक असुरक्षा।

भारत की प्रतिक्रिया और आगे की राह

भारत ने पाकिस्तान के इस बयान का कड़ा विरोध किया है। भारत का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न अंग है और रहेगा। भारत ने बार-बार पाकिस्तान से कहा है कि वह सीमा पार से होने वाले आतंकवाद को रोके और भारत के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल न होने दे।

* कूटनीतिक दबाव: भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाना जारी रखना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र और FATF जैसे संगठनों में पाकिस्तान को उसकी दोहरी नीतियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

* सख्त सुरक्षा नीति: भारत को सीमा पर अपनी सुरक्षा नीति को और सख्त करना चाहिए। किसी भी घुसपैठ या आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए।

* विकास पर ध्यान: जम्मू-कश्मीर में विकास और सामान्यीकरण की प्रक्रिया को तेज किया जाना चाहिए। जब लोग विकास और शांति की तरफ बढ़ेंगे, तो पाकिस्तान की ऐसी कोशिशें अपने आप नाकाम हो जाएंगी।

जनरल आसिम मुनीर का बयान सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। यह दिखाता है कि पाकिस्तान का सैन्य प्रतिष्ठान अभी भी पुरानी सोच में जकड़ा हुआ है और सीमा पार आतंकवाद को अपना रणनीतिक हथियार मानता है। ऐसे में, भारत को सतर्क रहना होगा और पाकिस्तान की इस चाल का जवाब कूटनीतिक और सैन्य दोनों ही स्त

रों पर देना होगा।