soham parekh
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हाल ही में भारतीय टेक जगत और खासकर अमेरिकी स्टार्टअप इकोसिस्टम में एक नाम खूब चर्चा में है – सोहम पारेख। उन पर एक साथ कई कंपनियों में काम करने और अपने नियोक्ताओं से जानकारी छुपाने (मूनलाइटिंग) का आरोप लगा है। यह मामला “सोहम-गेट” के नाम से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और इसने रिमोट वर्क और स्टार्टअप्स में हायरिंग प्रथाओं पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

कौन हैं सोहम पारेख?

soham parekh एक भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उनके कथित सीवी के अनुसार, उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (BE) की डिग्री और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स (MS) की डिग्री हासिल की है। उन्होंने अपने रिज्यूमे में सिन्थेशिया, डायनेमो एआई, यूनियन एआई और एलन एआई जैसी कई बड़ी टेक कंपनियों में काम करने का दावा किया है।

क्या है आरोप?

मिक्सपैनल के सह-संस्थापक सुहैल दोषी ने सबसे पहले सोहम पारेख पर एक साथ 3-4 स्टार्टअप में काम करने और कंपनियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। दोषी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने पारेख को उनकी कंपनी प्लेग्राउंड एआई से एक सप्ताह के भीतर ही निकाल दिया था, जब उनकी दोहरी नौकरी का खुलासा हुआ। इसके बाद कई अन्य अमेरिकी स्टार्टअप संस्थापकों ने भी इसी तरह के अनुभव साझा किए।

इन आरोपों में शामिल हैं:

* एक साथ कई नौकरियां: सोहम पर आरोप है कि वह एक ही समय में 3-4, और कुछ मामलों में 5 तक, कंपनियों में पूर्णकालिक रूप से काम कर रहे थे।

* फर्जी क्रेडेंशियल: कुछ संस्थापकों का दावा है कि पारेख ने अपने सीवी में 90% तक फर्जी जानकारी दी थी और अपनी शैक्षिक योग्यता व पिछले अनुभव के बारे में झूठ बोला था।

* झूठा स्थान: उन्होंने अपने स्थान के बारे में भी झूठ बोला, जिससे कंपनियों को लगा कि वह अमेरिका में हैं, जबकि वह कथित तौर पर भारत में थे। कुछ कंपनियों ने तो उनके अमेरिकी पते पर लैपटॉप भेजे, जो बाद में लौट आए।

* कम प्रदर्शन: इंटरव्यू में शानदार प्रदर्शन के बावजूद, सोहम पर काम में लापरवाही और समय पर काम पूरा न करने का भी आरोप है, क्योंकि उनकी प्रतिबद्धताएं कई जगहों पर बंटी हुई थीं।

“मूनलाइटिंग” और टेक जगत पर इसका प्रभाव

सोहम पारेख का मामला रिमोट वर्क के दौर में “मूनलाइटिंग” (एक से अधिक जगह गुपचुप तरीके से काम करना) के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ले आया है। इस घटना ने स्टार्टअप्स में हायरिंग की प्रक्रिया, बैकग्राउंड चेक की कमी और दूरस्थ कर्मचारियों पर निगरानी के तरीकों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जहां एक ओर कुछ लोग सोहम के नैतिक आचरण पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस मुद्दे पर व्यापक बहस छेड़ दी है, जिसमें कर्मचारियों के कम भुगतान, काम के बोझ और स्टार्टअप दुनिया की अवास्तविक अपेक्षाओं जैसे बड़े मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि “सोहम-गेट” टेक इंडस्ट्री में रिमोट हायरिंग और एम्प्लॉई मैनेजमेंट की प्रथाओं को कैसे प्रभावित करता है।