हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। यह दिन अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए समर्पित है। अंगदान एक ऐसा महान कार्य है जो किसी के जीवन को बचा सकता है या उसमें एक नई रोशनी ला सकता है।
भारत में, लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इनमें से कई लोग समय पर अंग न मिल पाने के कारण अपनी जान गँवा देते हैं। अंगदान न केवल मरने वाले व्यक्ति के अंगों को दान करना है, बल्कि यह दूसरों को जीवन का उपहार देना है।
अंगदान कई प्रकार के हो सकते हैं:
* जीवित अंगदान: कोई जीवित व्यक्ति अपने अंग का एक हिस्सा दान कर सकता है, जैसे किडनी या लिवर का हिस्सा।
* कैडेवरिक अंगदान: किसी व्यक्ति के मस्तिष्क की मृत्यु होने के बाद उसके अंगों को दान किया जा सकता है। इसमें हृदय, फेफड़े, गुर्दे, लिवर, अग्न्याशय और आंतें शामिल हैं।
* ऊतक दान: व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके ऊतकों को भी दान किया जा सकता है, जैसे कॉर्निया, हड्डियां, त्वचा, और हृदय वाल्व।
अंगदान के बारे में कई मिथक और गलत धारणाएं हैं। लोग अक्सर सोचते हैं कि अंगदान उनकी धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है या इससे उनके शरीर को नुकसान होगा। हालाँकि, वास्तविकता यह है कि अधिकांश धर्म अंगदान का समर्थन करते हैं और डॉक्टरों द्वारा दान की गई प्रक्रिया को सम्मानपूर्वक किया जाता है।
अंगदान करने का निर्णय एक बहुत ही व्यक्तिगत निर्णय है। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने परिवार के साथ इस पर चर्चा करें और अपनी इच्छाओं को स्पष्ट करें। आप अपने अंगदान की इच्छा को अपने ड्राइविंग लाइसेंस पर दर्ज करके या अंगदान प्रतिज्ञा पत्र भरकर भी व्यक्त कर सकते हैं।
विश्व अंगदान दिवस हमें याद दिलाता है कि हम सब मिलकर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। अंगदान करके, हम एक नया जीवन दे सकते हैं। यह जीवन का सबसे बड़ा दान है। आइए, हम सब मिलकर अंगदान का संकल्प लें और दूसरों के जीवन को बचाने के लिए आगे आएं।